भुजंग शब्द एक संस्कृत भाषा का शब्द है इस शब्द का अर्थ होता है सर्प तो इस अर्थ से हम ये समझ सकते है की इस आसन में हमारे शरीर को सर्प के फन की तरह से उठाना होता है /पेट के बल लेटकर किये जाने वाले आसनों में भुजंग आसन एक प्रमुख आसन है /इस आसन को हिंदी भाषा में सर्प आसन और अंग्रेजी भाषा में कोबरा पोस भी कहते है /
इस आसन का क्रमांक सातवे नंबर पर आता है जब सूर्यनमस्कार किया जाता है/ जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खांसी अथवा फेफड़ों संबंधी अन्य कोई गंभीर बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए।यह आसन सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है /आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है। कमर से सम्बंधित हर प्रकार की बिमारी में इस आसन को करने से अत्यंत लाभ होता है/पेट की चर्बी को कम करने में ये आसन अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है/
आइये इस से पहले हम इस बारे में बात करे की इस आसन को करने की सरलतम विधि क्या उस से पहले हमें ये जान लेना चाहिए की इस आसन को करते समय कौन कौन सी मुख्य सावधानियो का ध्यान रखना चाहिए /
किसी भी आसन को शुरू करने से पहले कुछ साधारण सावधानियों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक होता है /
साधारण सावधानियों के बाद आइये हम जानते है इस आसन को करते हुए हमे क्या क्या सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ⇒
१ यदि पेट का कोई ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए /
२ शरीर की सामर्थ्य से अधिक कमर को पीछे की तरफ न मोड नहीं तो मांस पेशियों में खिचाव आ सकता है /
३ यदि कमर में असहनीय दर्द हो रहा हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए यदपि आप इस आसन का नियमित अभ्यास करते है तो जीवन में आपको कभी भी कमर में दर्द हो ही नहीं सकता है /
४ गर्ववती महिलाओं को इस योग को नहीं करना चाहिए /
५ हर्निया एवं अलसर की कोई समस्या यदि है तो इस आसन को नहीं करना चाहिए ।
६स्लिप डिस्क तथा साइटिका वालों को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए।
अब जानते है की इस आसन को आपको करने से क्या क्या लाभ हो सकते है /
इस आसन से पेट की चर्बी घटती है/
रीढ़ की हड्डी सशक्त बनती है।
दमे की, पुरानी खांसी अथवा फेफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, तो उनको यह आसन अवश्य करना चाहिए/
इससे बाजुओं में शक्ति आती है।
मस्तिष्क से निकलने वाले सभी निर्देश शरीर के प्रत्येक अंग में शीघ्रता से पहुचते है /
पीठ की हड्डियों से सम्भंदित सभी प्रकार की समास्याएं दूर होती है।
कब्ज दूर होता है।
पेट की चर्बी घटाने में ये एक मददगार आसन है /
स्त्री की विशेष बीमारियों में भी लाभदायक है /
थाइरोइड में भी लाभदायक है /
आँखो की रौशनी में वृधि होती है /
मानसिक तनाव भी कम होता यदि हम इस आसन का नियमित अभ्यास करते है /
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गैस और कब्ज से छुटकारा पाएं/
नाक की बढ़ी हुई हड्डी से छुटकारा पाए बिना ऑपरेशन के /
हमने यहाँ तक आते आते सावधानिया भी जान ली और इस आसन से क्या लाभ हो सकते है परन्तु ये तो हमे पता चला ही नहीं की इस आसन को किस प्रकार सरलता पूर्वक करे ताकि हमे अधिकतम लाभ हो और हमारा शरीर निरोग बने /चलिए जानते है इस आसन को करने की विधि क्या है ?
भुजंग आसन को करने की सरलतम विधि
- पेट के बल लेट जाते है /
- एड़ी पंजे मिलाकर रखे /
- दोनों हाथ कंधो के बराबर में ले आये /
- ठोड़ी फर्श पर रखी हो /
- कोहनियां कमर से सटी हो /
- धीरे-धीरे हाथ को कोहनियों से मोड़ते हुए आगे लाते है और हथेलियों को बाजूओं के नीचे रख देते है /
- सिर को आकाश की ओर उपर उठाते है /
- हथेलियों के बल पर छाती और सिर को शरीर की सामर्थ्य के अनुसार अधिकतम पीछे की और ले जाते है /
- नाभि जमीन से ही लगी रहती है /
- कम से कम ५ सेकंड तक इसी अवस्था में रहने का प्रयास करते है अधिकतम ३० सेकंड तक का अभ्यास बना सकते है /
- अंत में श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे सिर को नीचे लाकर माथा भूमि पर रख देते है /
- छाती भी भूमि पर रख देते है /
- ठोड़ी को भी भूमि पर रख देते है /
- हाथों को पीछे ले जाकर ढीला छोड़ देते है /
- इस प्रकार आपका भुजंग आसन का एक चक्र पूरा होम जाता है /प्रतिदिन कम से कम ५ बार भुजंग आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए/
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इसके साथ-साथ आप को सर्वांगासन ,हलासन ,उष्ट्रासन अर्धचंद्रासन ,धनुरासन , तितलिआसन,मंडूकआसन गौ मुखासन आदि काअभ्यास भी करना चाहिए ।प्राणायाम में कपालभाति और अनुलोम विलोम बहुत ही लाभदायक प्राणायाम हैं।
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आप से अनुरोध है कि यदि आप ने यह आसन किया तो इस से होने वाले लाभ के प्रति अपने सुझाव प्रतिक्रिया या और कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें