अगर हम यह जानना चाहेंगे उद्गीत प्राणायाम क्या है ?तो सर्वप्रथम हमें पता चलता है कि इस प्राणायाम में ओम का जाप करना पड़ता है और ओम का जाप करने का तात्पर्य है कि ब्रह्मांड में व्याप्त सात्विक ऊर्जा का हमारे शरीर के साथ संबंध हो जाना।यह वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च के द्वारा सिद्ध किया है कि ओम के शब्द के उच्चारण से जो कंपन या वाइब्रेशन उत्पन्न होते हैं उसके द्वारा हमारे शरीर के अंदर ब्रह्मांड से सात्विक ऊर्जा की प्राप्ति होती है अतः आप इस प्राणायाम को इस प्रकार मान सकते हैं कि यदि आपने अपने शरीर के अंदर सात्विकता बढ़ानी है तो हमें उद्गीत प्राणायाम का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए / आइए जानते हैं कि उद्गीत प्राणायाम को करने की क्या विधि है?
उद्गीत प्राणायाम करने के लिए हमें सर्वप्रथम इस प्रकार के स्थान का चुनाव करना चाहिए कि वहां पर स्वच्छ वायु की उपलब्धता हो । ज्यादा शोर शराबा वहां पर ना हो।
हम सब से पहले जमीन पर सूती चादर बिछाकर पदमासन या सुखासन या सिद्धासन में बैठ जाते हैं । अपनी कमर और गर्दन को सीधा कर रखते हैं ।
आंखें बंद कर लेते हैं फिर धीरे धीरे से लंबा गहरा श्वास अंदर भरते हैं। उसके पश्चात मुंह से ओंकार की ध्वनि करते हुए धीरे-धीरे श्वास को छोड़ देते हैं ।
क्योंकि हम ओम की ध्वनि करते हैं इसलिए इस प्राणायाम को Omni जप भी कहते हैं।
इस प्राणायाम को हम खाली पेट प्रातः काल ही करें तो उत्तम होता है।
प्रारंभ में उद्गीत प्राणायाम को 3 बार से शुरू कर के 5 ,7 ,11 और 21 या 51 बार तक कर सकते हैं।
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उद्गीत प्राणायाम से होने वाले लाभ
उद्गीत प्राणायाम से हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा का आविर्भाव होता है ।
वातावरण हमारे स्वभाव के अनुकूल बनता है ।
हमारी स्मरण शक्ति बढ़ती है ।
गुस्से को काबू करने के लिए प्राणायाम अत्यंत ही लाभदायक है ।
उद्गीत प्राणायाम से हमारी कंसंट्रेशन और संकल्प शक्ति का विकास होता है ।
मानसिक तनाव चिंता और सरदर्द जैसी समस्याएं उद्गीत प्राणायाम के अभ्यास से दूर हो जाती है ।
यदि किसी व्यक्ति को नींद कम आती हो या नींद ना आती हो या नींद में भयानक सपने आते हो तो उस व्यक्ति व्यक्ति को उद्गीत प्राणायाम का अभ्यास प्रतिदिन करना चाहिए।
उद्गीथ प्राणायाम को करते हुए सावधानी
हमें पूरी तरह से बाहर के वातावरण से कटकर अंतर्मुखी बन जाना होता हैं।हमें भूल जाना होता है कि हमारे आसपास के वातावरण में क्या हो रहा है ? इससे हमारे दिमाग की पूरी तरह से मसाज हो जाती है/
इस प्राणायाम को कभी भी जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए नहीं तो इसका लाभ नहीं होता है।
” विशेष ”
यदि कोई गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति है तो उसको उदगीत प्राणायाम प्रारंभ करने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर संपर्क कर लेना चाहिए तथा किसी योग्य योग शिक्षक के सामने ही इसका अभ्यास करना चाहिए।
इसके साथ-साथ आप को सर्वांगासन ,हलासन ,उष्ट्रासन अर्धचंद्रासन ,धनुरासन , तितलिआसन,मंडूकआसन गौ मुखासन आदि काअभ्यास भी करना चाहिए ।प्राणायाम में कपालभाति और अनुलोम विलोमबहुत ही लाभदायक प्राणायाम हैं।
आप से अनुरोध है कि यदि आप ने यह आसन किया तो इस से होने वाले लाभ के प्रति अपने सुझाव प्रतिक्रिया या और कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें और इस लेख को शेयर भी करें Google प्लस,Facebook ,Twitter याWhatsApp पर।
धन्यवाद्
मनोज मेहरा